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भारत की वर्तमान रियल एस्टेट नीति और समाधान
- 정원사 16일 전 2025.11.29 11:13
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भारत की वर्तमान रियल एस्टेट नीति और समाधान
भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो न केवल रोजगार सृजन में बल्कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हाल के वर्षों में, इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, खासकर सरकारी नीतियों के कारण। इन नीतियों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, निवेशकों का विश्वास बहाल करना और किफायती आवास को बढ़ावा देना है। हालांकि, कई चुनौतियां बनी हुई हैं जिनका समाधान करना आवश्यक है।
रियल एस्टेट क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
भारतीय रियल एस्टेट बाजार वर्तमान में एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है। रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (RERA) के लागू होने से इस क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया है। RERA का मुख्य उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा करना, परियोजनाओं में देरी को कम करना और रियल एस्टेट लेनदेन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। अधिनियम के तहत, सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं को संबंधित नियामक प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत होना आवश्यक है, और डेवलपर्स को परियोजना के विवरण, योजनाओं और समय-सीमा के बारे में पूरी जानकारी का खुलासा करना होता है।
इसके अतिरिक्त, वस्तु और सेवा कर (GST) के कार्यान्वयन ने रियल एस्टेट क्षेत्र को भी प्रभावित किया है। GST ने विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत किया है, जिससे लेनदेन की प्रक्रिया सरल हुई है। हालांकि, GST दरों को लेकर कुछ समय तक अनिश्चितता रही, जिससे डेवलपर्स और खरीदार दोनों प्रभावित हुए।
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी सरकारी पहलों ने किफायती आवास क्षेत्र को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना का उद्देश्य शहरी गरीबों को पक्के घर प्रदान करना है, और इसने निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।
भौतिक अवसंरचना में सुधार, जैसे कि बेहतर सड़क संपर्क, हवाई अड्डे और मेट्रो रेल परियोजनाएं, रियल एस्टेट विकास को भी गति दे रहे हैं। ये परियोजनाएं नए क्षेत्रों में आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों के विकास के लिए अवसर पैदा करती हैं।
वर्तमान रियल एस्टेट नीतियों की चुनौतियां
अपनी प्रगति के बावजूद, भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है:
- विलंबित परियोजनाएं: RERA के बावजूद, कुछ परियोजनाओं में अभी भी देरी हो रही है, जिससे खरीदारों को असुविधा हो रही है और उनका विश्वास कम हो रहा है।
- नकदी की समस्या: कई डेवलपर्स को नकदी प्रवाह (cash flow) की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो परियोजनाओं के पूरा होने में बाधा डालता है।
- नियामक अनुपालन: RERA और अन्य नियमों का अनुपालन डेवलपर्स के लिए एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, खासकर छोटे और मध्यम आकार के डेवलपर्स के लिए।
- अधूरे बुनियादी ढांचे: नए विकास क्षेत्रों में अक्सर आवश्यक बुनियादी ढांचे, जैसे कि पानी, सीवेज और बिजली की कमी होती है, जो निवासियों के लिए जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
- महंगी संपत्ति की कीमतें: प्रमुख शहरों में संपत्ति की कीमतें अभी भी कई लोगों के लिए दुर्गम हैं, जिससे किफायती आवास की समस्या बनी हुई है।
- प्रौद्योगिकी का धीमा अंगीकरण: रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग अभी भी अपेक्षाकृत कम है, जिससे दक्षता और पारदर्शिता में सुधार के अवसर छूटे जा रहे हैं।
समाधान और भविष्य की राह
इन चुनौतियों का समाधान करने और रियल एस्टेट क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए, निम्नलिखित उपायों पर विचार किया जा सकता है:
1. नियामक ढांचे को मजबूत करना
- RERA का प्रभावी कार्यान्वयन: RERA के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। नियामक प्राधिकरणों को परियोजना की प्रगति की नियमित निगरानी करनी चाहिए।
- डिजिटल रिकॉर्ड और भूमि रजिस्ट्री: भूमि अभिलेखों को डिजिटाइज़ करना और एक केंद्रीकृत, पारदर्शी भूमि रजिस्ट्री प्रणाली बनाना भूमि धोखाधड़ी को कम करने और लेनदेन को सुव्यवस्थित करने में मदद करेगा।
- पारदर्शी मूल्य निर्धारण तंत्र: संपत्ति की कीमतों में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए तंत्र विकसित किए जाने चाहिए।
2. वित्तीय सहायता और तरलता (Liquidity) बढ़ाना
- डेवलपर्स के लिए आसान ऋण: छोटे और मध्यम आकार के डेवलपर्स को परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद करने के लिए आसान और सुलभ ऋण विकल्प प्रदान किए जाने चाहिए।
- संपत्ति मूल्यांकन को सुव्यवस्थित करना: संपत्ति मूल्यांकन की प्रक्रिया को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
- निवेश के नए रास्ते: रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) जैसे निवेश के नए रास्ते को बढ़ावा देना चाहिए ताकि खुदरा निवेशकों के लिए रियल एस्टेट में निवेश करना आसान हो सके।
3. किफायती आवास को बढ़ावा देना
- सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन: सरकार को किफायती आवास परियोजनाओं के लिए कर प्रोत्साहन और सब्सिडी जारी रखनी चाहिए।
- शहरी नियोजन में सुधार: सुनियोजित शहरी विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें किफायती आवासों के लिए पर्याप्त भूमि आवंटन शामिल हो।
- विनिर्माण को बढ़ावा: निर्माण सामग्री की लागत को कम करने के लिए नवीन और लागत प्रभावी निर्माण तकनीकों और सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
4. बुनियादी ढांचे का विकास
- निर्बाध कनेक्टिविटी: नई विकास परियोजनाओं से जुड़े क्षेत्रों में सड़क, परिवहन और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
5. प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना
- डिजिटल प्लेटफॉर्म: संपत्ति की खोज, लेनदेन और प्रबंधन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
- ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी: रियल एस्टेट लेनदेन में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक की संभावनाओं का पता लगाया जाना चाहिए।
- स्मार्ट सिटी पहल: स्मार्ट सिटी पहलों को बढ़ावा देना, जिसमें एकीकृत प्रौद्योगिकी समाधान शामिल हों, रियल एस्टेट क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान करेगा।
निष्कर्ष रूप में, भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र एक महत्वपूर्ण विकास पथ पर है। RERA और GST जैसी नीतियों ने पहले ही सकारात्मक बदलाव लाए हैं। हालांकि, विलंबित परियोजनाओं, नकदी की समस्या और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण है। एक मजबूत नियामक ढांचा, बेहतर वित्तीय सहायता, किफायती आवास पर ध्यान केंद्रित करना, बुनियादी ढांचे का विकास और प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग इन चुनौतियों का समाधान कर सकता है और भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र के स्थायी विकास को सुनिश्चित कर सकता है, जिससे अंततः लाखों लोगों के लिए घर के स्वामित्व के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी।
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